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मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

गठिया रोग का उपचार,|हृदय रोग का उपचार ,|गुर्दे की पथरी का उपचार ,|बवासीर का उपचार,|यकृत वृद्धि रोग का उपचार

गठिया रोग का उपचार

उपचार - 1:
बथुए के ताजे पत्तो का 25 ग्राम रस, 2-3 महीनो तक सुबह खाली पेट पीने से गठिया में जरूर लाभ होता है
उपचार - 2:
50 ग्राम लहसुन की कालिया ले, इसमें 3-3 ग्राम सेंध नमक, जीरा, हींग, पीपल, कालि मिर्च और सौंठ मिला कर पीस ले, इस मिश्रण को अरंड के तेल में भून कर रख ले| इस दवा को 1 चम्मच दिन में 2 बार लेने से गठिया में शीघ्र आराम मिलता है
उपचार - 3:
50-50 ग्राम लहसुन, गिलोय, देवदारु, सौंठ, अरंड की जड़, को कूटकर छानकर 1 शीशी में भर ले| इस मिश्रण में से 2 चम्मच 1 गिलास पानी में उबालकर, आधा शेष रहने पर ठंडा करके, छान कर सुबह_शाम पीने से गठिया में जल्दी ही लाभ होता है
उपचार - 4:
मिश्री और असगंध की जड़ को सामान मात्रा में लेकर कूट_छान कर इसका मिश्रण एक शीशी में भर ले, इस चूर्ण को 5-6 ग्राम लेकर, दूध के साथ सुबह_शाम प्रयोग करे, गठिया से बिस्तर पकड़ा हुआ रोगी भी चलने लगेगा
उपचार - 5:
ज्यादा से ज्यादा पानी पीने से शारीर के विजातीय पदार्थ और यूरिक एसिड बहार निकाल जाते है, जिससे गठिया में आराम मिलता है



हृदय रोग का उपचार

उपचार - 1:
प्रतिदिन 5-10 ग्राम प्याज का रस सुबह खाली पेट पीने से खून_नालियों में कोलेस्ट्रोल नहीं जमता और हृदय रोग में सुधार होता है
उपचार - 2:
अंगूर का रस प्रतिदिन पीने से हृदय रोग थोक होते है, इससे दिल की बढ़ी हुई धड़कन को भी नियंत्रित किया जा सकता है
उपचार - 3:
प्रतिदिन सुबह 1 गिलास गुनगुने पानी में 1 निम्बू का रस और 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से भी हृदय रोग में लाभ होता है
उपचार - 4:
सेब और शक्करकंद का नियमित प्रयोग करने से भी हृदय रोग में आराम मिलता है, इनसे हृदय को पोषण मिलता है
उपचार - 5:
हृदय रोगी का खाना पकाने में जैतून के तेल को प्राथमिकता दें, इससे हृदय रोग में काफी आराम मिलता है
उपचार - 6:
हृदय रोग में शराब और नमक से परहेज करना चाहिए
उपचार - 7:
4-5 लहसुन की कलियाँ बारीक काट कर, दूध में उबाल कर पीने से हृदय रोग में राहत मिलती है, लहसुन खून_की_नालियों में कोलेस्ट्रोल नहीं जमने देता


गुर्दे की पथरी का उपचार

उपचार - 1:
ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए, ताकि मूत्र के जरिये शारीर के विजातीय पदार्थ बाहर निकल जाए
उपचार - 2:
50-50 ग्राम मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया रात को 1 लीटर पानी में भिगो कर रखे, 24 घंटे बाद छानकर इस सौंफ धनिये को पीसकर पेस्ट बना ले, इस पेस्ट को पानी में घोलकर पीते रहने से पथरी मूत्र के साथ बाहर निकल जाती है
उपचार - 3:
मूली के ताजे पत्तो का रस निकालकर 200 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार सेवन करने से पत्थरी रोग नष्ट होता है
उपचार - 4:
चौलाई की सब्जी में पथरी को गलाने की ताकत होती है, चौलाई को उबाल कर, दिन में 3-4 बार, धीरे धीरे चबा_चबा कर खाये, पथरी में गुणकारी उपचार है
उपचार - 5:
1 नीम्बू का रस 1 गिलास गुनगुने पानी के साथ दिन में 2 बार लेने से पथरी में लाभ होता है, नीम्बू पथरी को तोड़ कर पिघलाने में कारगर है
उपचार - 6:
10 ग्राम गाजर के बीज, 10 ग्राम मूली के बीज, 20 ग्राम गोखरू,5 ग्राम जवाखार को मिलाकर चूर्ण बना ले, इस चूर्ण की 4-4 ग्राम की पुड़िया बना ले, इसकी 1 खुराक सुबह 6 बजे, दूसरी 9 बजे और तीसरी शाम को 5 बजे पानी_दूध की लस्सी के साथ लेने से पथरी में आशाजनक लाभ होता है
उपचार - 7:
50 ग्राम प्याज को पीसकर पेस्ट बना ले, इसे निचोड़कर इसके रस निकाल ले, प्रतिदिन ऐसा रस सुबह खाली पेट पीने से पथरी गलकर बाहर निकल जाएगी
उपचार - 8:
1 चम्मच शहद के साथ 1 चम्मच तुलसी के पत्तो का रस प्रतिदिन प्रातः सेवन करने से कुछ ही महीने में गुर्दे की पथरी निकल जाती है

बवासीर का उपचार

उपचार - 1:
हरड़ के साथ गुड़ मिलाकर खाने से भी बवासीर में लाभ मिलता है
उपचार - 2:
आम की गुठली के चूर्ण को पानी या शहद के साथ 1 चम्मच की मात्रा में सेवन करने से खुनी बवासीर में लाभ होता है
उपचार - 3:
विटामिन सी की 500 MG की 2 गोलिया प्रतिदिन लेने से खून की नालिया स्वस्थ होती है, जो बवासीर रोग के इलाज में लाभकारी है
उपचार - 4:
जमीकंद को गर्म राख में भून कर दही के साथ कुछ दिन तक सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है
उपचार - 5:
शाम के समय, पके केले को चीर के 2 टुकडे करे, उसपर कत्था पीसकर छिड़क दे और रात भर खुली जगह पर रखे, सुबह शौच के बाद उस केले को खाने से 15-20 दिनों में हर प्रकार की बवासीर ठीक हो जाती है
उपचार - 6:
प्याज के छोटे छोटे टुकड़े करके सुखा ले, सूखे टुकड़ो को 15 ग्राम घी में तले, फिर इसमें 2 ग्राम तिल और 20 ग्राम मिश्री मिलाकर प्रतिदिन खाने से बवासीर ख़त्म होती है
उपचार - 7:
करंज, हरसिंगार, जामुन, बबूल, इमली, बकायन, इन सभी के बीज की गिरी और काली मिर्च को बराबर मात्रा में लेकर कूट_पीसकर मटर के दाने के बराबर गोली बना ले, 2-2 गोली दिन में 2 बार छाछ के साथ लेने से बवासीर में अवस्य आराम मिलता है, बवासीर की श्रेष्ठ औषधि है
उपचार - 8:
1 नीम्बू को काट कर दोनों टुकड़ो पर 5 ग्राम कत्था पीसकर छिड़क दे, रात बार खुली जगह में रख दे, सुबह बासी मुँह, दोनों टुकड़ो को चूस ले, 15-20 दिनों में हर प्रकार की बवासीर ठीक हो जाती है
उपचार - 9:
कमाल के हरे पत्ते को पीसकर, थोड़ी सी मिश्री मिलाकर खाने से बवासीर का खून आना बंद हो जाता है
उपचार - 10:
बवासीर में दही और छाछ का नियमित सेवन लाभकारी है
उपचार - 11:
गेंदे के हरे पत्ते 10 ग्राम ले, 5 दाने काली मिर्च, 10 ग्राम मिश्री, सबको पीसकर 50 ग्राम पानी में मिला ले, इस मिश्रण को प्रतिदिन लेने से कुछ ही दिनों में खूनी बवासीर ठीक हो जाता है
उपचार - 12:
एलोवेरा का गूदा बवासीर के मस्सो पर लगाने से सूजन दूर होती है
उपचार - 13:
बवासीर के रोगी को प्रतिदिन 4-5 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए, इससे कब्ज नही होगी जो बवासीर का प्रमुख कारण है


यकृत वृद्धि रोग का उपचार

उपचार - 1:
प्रतिदिन सुबह 1 पपीता खाने से कुछ ही दिनों में यकृत रोग में लाभ होता है, पपीता खाने के 1-2 घंटे बाद तक कुछ न खाए
उपचार - 2:
आयुर्वेद के अनुसार, कुमारी आसव यकृत के रोग में बहुत लाभकारी औषधि है
उपचार - 3:
सुबह खाली पेट 2 संतरे का रस पीने से कुछ ही दिनों में यकृत रोग से मुक्ति मिलती है
उपचार - 4:
यकृत रोगी के लिए शराब बहुत हानिकारक है, शराब का सेवन बिलकुल त्याग देना चाहिए
उपचार - 5:
यकृत रोग में 1 कच्चा बैंगन प्रतिदिन खाने से लिवर ठीक होता है
उपचार - 6:
करेला, गाजर, पालक, कड़वी सहजन की फली और हरी सब्जियां यकृत रोग में लाभकारी है
उपचार - 7:
मछली, अंडे और दालों का अधिक मात्रा में सेवन यकृत रोग में लाभकारी है
उपचार - 8:
3 ग्राम अजवाइन और आधा ग्राम नमक भोजन के बाद पानी के साथ लेने से लिवर-तिल्ली से सम्बंधित सभी रोग ठीक हो जाते है



अस्वीकरण: इस साइट पर उपलब्ध सभी जानकारी और लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हैं। यहाँ पर दी गयी जानकारी का उपयोग किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या या बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। चिकित्सा परीक्षण और उपचार के लिए हमेशा एक योग्य चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।


नाक की एलर्जी का इलाज ,|नकसीर का इलाज ,|अधिक छींके आने का इलाज ,|दमे का उपचार ,|दमे का उपचार ,|टीबी / तपेदिक का उपचार ,|मिर्गी का उपचार,|

नाक की एलर्जी का इलाज

उपचार - 1:
10 ग्राम सौंठ, 10 ग्राम काली मिर्च, 10 ग्राम छोटी पीकर, 10 ग्राम मिश्री, 50 ग्राम बिज निकला हुआ मुनक्का, 10 ग्राम गोदंती हरताल भष्म, 15 तुलसी के पत्ते लेकर सभी का मिलाकर पीस ले, और मटर के आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा ले, 2-2 गोली सुबह_शाम गर्म पानी के साथ 3 महीने तक लेने से नाक की एलर्जी ठीक हो जाएगी, ठन्डे पदार्थो से परहेज करें|

नकसीर का इलाज

उपचार - 1:
250 ग्राम गाजर और पालक का रस मिलाकर पीने से नाक से खून निकलना बंद हो जाता है
उपचार - 2:
नाक से खून आने पर पके हुए केले को शक्कर मिले दूध के साथ खाने से तुरंत नकसीर बंद होती है
उपचार - 3:
सिर पर ठन्डे पानी की धार लगातार डालने से नकसीर निकला तुरंत बंद होता है
उपचार - 4:
धनिये के ताजा पत्तो का रस सुंघाने से तथा हरे धनिये के पत्तो को पीसकर माथे पर मलने से भी गर्मी में आने वाली नकसीर ठीक होती है
उपचार - 5:
25 ग्राम नारियल प्रतिदिन सुबह खाली पेट, 10 दिन तक खाने से गर्मी में नकसीर आना बंद हो जाता है
उपचार - 6:
3-4 ग्राम सुहागे को थोड़े से पानी में घोलकर नाक के दोनों नथुनों पर मलने से नकसीर तुरंत बंद होती है
उपचार - 7:
आंवले का पानी पीने से अथवा, आंवले को पीसकर तालू और नाक पर लगाने से नकसीर निकलना बंद हो जाता है
उपचार - 8:
नकसीर आने पर नाक के नथुनों में 2-2 बूंद निम्बू का रस टपकाने से नकसीर बंद हो हो जाती है
उपचार - 9:
आंवले का मुरब्बा खाने से तथा आंवले का रस सिर पर मालिश करने से भी नकसीर शीघ्र रुक जाती है
उपचार - 10:
प्याज का रस नाक में डालने से भी नकसीर निकलना बंद होता है
उपचार - 11:
एक ग्राम फिटकरी को पीस कर उसका चूर्ण नाक में डालने से नकसीर बंद हो जाती है


अधिक छींके आने का इलाज

उपचार - 1:
थोड़ी सी कुलिंजन को पीसकर पोटली में बाँध ले, इस पोटली को सूंघने से भी छींके आना बंद होता है
उपचार - 2:
सफ़ेद चन्दन का बुरादा और हरा धनिया एक साथ पीसकर सूंघने से छींके बंद हो जाती है

दमे का उपचार

उपचार - 1:
प्रतिदिन सुबह_दोपहर 1 गिलास गाजर का रस पीने से दमा के रोगी को शीघ्र लाभ होता है
उपचार - 2:
5-6 लौंग को 100 ग्राम पानी में उबाले, आधा पानी शेष रहने पर इसे छान ले और 1 चम्मच शहद मिलाकर गर्म_गर्म पिए, दिन में 3 बार पीने से दम नियंत्रित रहता है
उपचार - 3:
बच्चो को दमा होने पर, 7 तुलसी की पत्तियों को पीसकर, 1 चम्मच शहद में मिलाकर दिन में 3 बार चटाने से कुछ ही हफ्तों में दम ख़त्म हो जाता है
उपचार - 4:
2 चम्मच लहसुन का रस 1 गिलास गर्म पानी के साथ पीने से दमे के रोगी को बहुत लाभ होता है
उपचार - 5:
पहाड़ी नमक को सस्र्सो के तेल में मिलाकर छाती पर मालिश करने से दमे के दौरे में शीघ्र आराम मिलता है
उपचार - 6:
1 चम्मच आंवला के रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन लेने से फेफड़े स्वस्थ होते है और दमे को नियंत्रित करते है
उपचार - 7:
करेले की सब्जी खाने से अथवा 5 चम्मच मेथी के दानो को 1 गिलास पानी में उबाले, 1 तिहाई पानी शेष रहने पर इस पानी को छान कर गुनगुना पीने से भी दमे में काफी लाभ मिलता है
उपचार - 8:
लहसुन दमे में राहट पहुचाता है, चाय में 2-3 कलि लहसुन की पीसकर उबाले, ये चाय दमे में राहत देती है
उपचार - 9:
धतूरे के पत्तो को सिगरेट के आकर में लपेट कर उसका धुंआ सिगरेट की तरह पीने से दमे के रोगी को आराम मिलता है
उपचार - 10:
1 गिलास दूध में 1 चम्मच हल्दी मिलाकर प्रतिदिन पीने से दमा नियंत्रित रहता है
उपचार - 11:
पीपल के पके फलो को छाया में सुखाकर बारीक पीस ले, इस चूर्ण को प्रतिदिन सुबह_शाम 4-4 ग्राम की मात्रा में ताजा पानी के साथ लेने से दम कुछ ही हफ्तों में ठीक हो जाता है
उपचार - 12:
दमे के रोगी को प्रात 1 निम्बू का रस, 1 चम्मच अदरक का रस और 2 चममच शहद को 1 कप गर्म पानी में मिलाकर पिलाने से असरकारक लाभ होता है
उपचार - 13:
दमे के रोगी को केले का सेवन कभी नहीं करना चाहिए

दमे का उपचार

उपचार - 1:
प्रतिदिन सुबह_दोपहर 1 गिलास गाजर का रस पीने से दमा के रोगी को शीघ्र लाभ होता है
उपचार - 2:
5-6 लौंग को 100 ग्राम पानी में उबाले, आधा पानी शेष रहने पर इसे छान ले और 1 चम्मच शहद मिलाकर गर्म_गर्म पिए, दिन में 3 बार पीने से दम नियंत्रित रहता है
उपचार - 3:
बच्चो को दमा होने पर, 7 तुलसी की पत्तियों को पीसकर, 1 चम्मच शहद में मिलाकर दिन में 3 बार चटाने से कुछ ही हफ्तों में दम ख़त्म हो जाता है
उपचार - 4:
2 चम्मच लहसुन का रस 1 गिलास गर्म पानी के साथ पीने से दमे के रोगी को बहुत लाभ होता है
उपचार - 5:
पहाड़ी नमक को सस्र्सो के तेल में मिलाकर छाती पर मालिश करने से दमे के दौरे में शीघ्र आराम मिलता है
उपचार - 6:
1 चम्मच आंवला के रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन लेने से फेफड़े स्वस्थ होते है और दमे को नियंत्रित करते है
उपचार - 7:
करेले की सब्जी खाने से अथवा 5 चम्मच मेथी के दानो को 1 गिलास पानी में उबाले, 1 तिहाई पानी शेष रहने पर इस पानी को छान कर गुनगुना पीने से भी दमे में काफी लाभ मिलता है
उपचार - 8:
लहसुन दमे में राहट पहुचाता है, चाय में 2-3 कलि लहसुन की पीसकर उबाले, ये चाय दमे में राहत देती है
उपचार - 9:
धतूरे के पत्तो को सिगरेट के आकर में लपेट कर उसका धुंआ सिगरेट की तरह पीने से दमे के रोगी को आराम मिलता है
उपचार - 10:
1 गिलास दूध में 1 चम्मच हल्दी मिलाकर प्रतिदिन पीने से दमा नियंत्रित रहता है
उपचार - 11:
पीपल के पके फलो को छाया में सुखाकर बारीक पीस ले, इस चूर्ण को प्रतिदिन सुबह_शाम 4-4 ग्राम की मात्रा में ताजा पानी के साथ लेने से दम कुछ ही हफ्तों में ठीक हो जाता है
उपचार - 12:
दमे के रोगी को प्रात 1 निम्बू का रस, 1 चम्मच अदरक का रस और 2 चममच शहद को 1 कप गर्म पानी में मिलाकर पिलाने से असरकारक लाभ होता है
उपचार - 13:
दमे के रोगी को केले का सेवन कभी नहीं करना चाहिए


टीबी / तपेदिक का उपचार

उपचार - 1:
30-40 ग्राम नारियल प्रतिदिन खाने से टीबी के रोगाणु ख़त्म होते है और फेफड़ो को भी स्वस्थ बनाता है
उपचार - 2:
पीपल, मुनक्का, और देसी शक्कर को बराबर मात्रा में पीसकर, इस चूर्ण को प्रतिदिन 1 चम्मच सुबह_शाम लेने से टीबी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है
उपचार - 3:
200 ग्राम कुंजा मिश्री, 200 ग्राम शहद, 100 ग्राम गाय का घी लेकर, तीनो को मिलाकर, इसमें से 5-6 ग्राम दिन में 3 बार लेकर ऊपर से दूध पीने से कुछ ही दिनों में टीबी दूर हो जाती है| गुड, तेल और खटाई से परहेज करे|
उपचार - 4:
मख्खन में मिश्री मिलाकर खाने से भी टीबी में राहत मिलती है
उपचार - 5:
1 ताजा लौकी पर जौ के आटे को मल कर कपडे में लपेट कर भूभल में दबा दे, गल जाने पर इसका पानी निचोड़ कर रोगी को पिलाए, इच्छानुसार मिश्री मिला सकते है, प्रतिदिन ऐसा करने से कुछ ही हफ्ते में टीबी ठीक हो जाती है
उपचार - 6:
टीबी के कारण बुखार बने रहने की स्थिति में, 10-11 तुलसी के पत्ते, थोडा नमक, जीरा, हींग, 20-25 ग्राम निम्बू के रस को 1 गिलास पानी में मिलाकर दिन में 3 बार पीने से कुछ ही दिनों में टीबी रोग ठीक हो जाता है


मिर्गी का उपचार

उपचार - 1:
50 ग्राम मेहंदी के पत्तो का रस, 1 गिलास बकरी के दूध में मिलाकर रोगी को सुबह_सुबह 15 दिन तक पिलाने से मिर्गी में बहुत लाभ होता है
उपचार - 2:
पीसी हुई राई सुंघाने से अथवा, तुलसी के पत्तो के साथ कपूर सुंघाने से मिर्गी के रोगी को तुरंत होश आ जाता है
उपचार - 3:
मैग्नीशियम सल्फेट मिले पानी से रोगी को नहलाने से भी मिर्गी के दौरे में कमी आती है
उपचार - 4:
सहतूत का रस और सेब का रस मिर्गी के रोग में लाभकारी होता है
उपचार - 5:
आधा गिलास दूध में आधा गिलास पानी मिलाकर, इसमें 5-6 लहसुन की कलि बारीक काट कर उबाले, इस दूध को लहसुन के कलियों सहित प्रतिदिन रात को सोते वक्त पीने से कुछ ही दिनों में मिर्गी में काफी लाभ होता है
उपचार - 6:
रोगी के शरीर पर गीली मिटटी का लेप करे, 1 घंटे बाद नहा ले, इससे भी मिर्गी के दौरे में कमी आती है
उपचार - 7:
तुलसी के पत्तो को पीसकर शरीर पर मलने से अथवा जरा सी हींग, निम्बू के साथ चूसने से भी मिर्गी में राहत मिलती है
उपचार - 8:
1 कप पेठे का रस निकाल कर उसमे स्वादानुसार शक्कर और मुलहठी मिलाकर रोगी को प्रतिदिन पिलाने से मिर्गी में शीघ्र लाभ होता है
उपचार - 9:
15-20 ग्राम गाय के घी का मख्खन प्रतिदिन खाने से भी मिर्गी के रोग में लाभ होता है
उपचार - 10:
1 गिलास अंगूर का रस प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीने से मिर्गी कुछ ही महीनो में ठीक हो जाती है




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प्रसव उपरान्त उपचार,|हड्डियों की मजबूती के उपाय,|पित्त की पत्थरी का उपचार,|एसिडिटी का उपचार ,|पेशाब में जलन का उपचार ,|बढे हुए कोलेस्ट्रोल का उपचार

प्रसव उपरान्त उपचार

उपचार - 1:
स्त्री के गर्भाश्य से पानी सा निकलने की स्थिति में, नाशपाती का सेवन करने से कुछ ही दिनों में लाभ होता है
उपचार - 2:
यदि मूत्रांग में खुजली हो रही हो तो आंवले के रस में रोज चीनी मिलाकर पीने से कुछ ही दिनों में आराम मिलता है
उपचार - 3:
फिटकरी के पानी से योनि को धोने से जननेंद्रिय की खुजली दूर होती है
उपचार - 4:
प्रसव के बाद योनि में अधिक ढीलापन आने पर, फिटकरी के घोल से योनि को दिन में 3-4 बार धोने से 5-6 दिन में योनि का सामान्य संकोचन हो जाएगा


हड्डियों की मजबूती के उपाय

उपचार - 1:
विटामिन डी, शरीर में कैल्शियम के निर्माण में सहायक है, प्रतिदिन प्रातः 15-20 मिनट धुप में बैठने से अस्थि_भंगुरता में काफी लाभ होता है
उपचार - 2:
नियमित व्यायाम से हड्डियों को मजबूत करने में मदद मिलती है
उपचार - 3:
प्रतिदिन 1000 MG कैल्शियम और 500 MG मैग्नीशियम की गोली लेने से कमजोर अस्थि_रोग में बहुत लाभ होता है
उपचार - 4:
1 गिलास टमाटर का जूस प्रतिदिन पीने से 2-3 महीने में ही अस्थि_भंगुरता दूर होकर हड्डियां मजबूत होती है
उपचार - 5:
15 बादाम रात को पानी में भिगोये, सुबह छिलके उतार कर, 1 गिलास गाय के दूध में मिक्सी में मिलाकर, इस तरल को प्रतिदिन लेने से हड्डियां मजबूत होती है
उपचार - 6:
एक चम्मच शहद नियमित सेवन करना, अस्थि भंगुरता का बेहद लाभदायक उपचार है
उपचार - 7:
प्रतिदिन 50 ग्राम मूंगफली खाने से हड्डियों से सम्बंधित सभी रोगों से मुक्ति मिलती है, इससे दांत भी मजबूत होते है, दिमाग तेज होता है, और यह गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी लाभदायक है
उपचार - 8:
औरतो को सोयाबीन के उत्पाद नियमित सेवन करने चाहिए, इससे एस्ट्रोजेन की कमी से होने वाली अस्थि_भंगुरता से राहत मिलती है
उपचार - 9:
पत्ता गोभी, हड्डियों के विकास में बेहद गुणकारी है, बंद गोभी की सलाद और सब्जी प्रचुर मात्रा में लेनी चाहिए
उपचार - 10:
हरी पत्तेदार सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर में कैल्सियम बढ़ता है, जिससे हड्डियां मजबूत होती है


पित्त की पत्थरी का उपचार

उपचार - 1:
विटामिन C की 3-4 गोलियां प्रतिदिन लेने से रोग_प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित होता है, जिससे पित्त की पत्थरी में राहत मिलती है
उपचार - 2:
1 सप्ताह तक, 40-50 ग्राम नीम्बू का रस सुबह खाली पेट पिए, पित्त की पथरी में लाभप्रद है
उपचार - 3:
नाशपाती के नियमित सेवन से पित्ताशय संबंधी रोग दूर होते है
उपचार - 4:
पित्त की पथरी के रोगी को तली हुई चीजें, मसाले, शराब, चाय_कॉफी, और मीठे पदार्थो से परहेज करना चाहिए
उपचार - 5:
गाजर का रस 100 ग्राम, ककड़ी का रस 100 ग्राम लेकर, दोनों कको मिलाकर प्रतिदिन 2 बार पीने से पित्त की पत्थरी में बहुत लाभ होता है

एसिडिटी का उपचार

उपचार - 1:
रात को 1 गिलास पानी में 2 चम्मच सौंफ डालकर उबाल ले, सुबह छानकर उसमे 1 चम्मच शहद मिलाकर पीने से एसिडिटी शीघ्र नियंत्रित होती है
उपचार - 2:
भोजन करते समय नीम्बू पानी पीते रहने से एसिडिटी को दूर किया जा सकता है
पचार - 3:
प्रतिदिन सुबह उठकर 1-2 गिलास पानी पीने से भी एसिडिटी में राहत मिलती है
उपचार - 4:
1 गिलास छाछ में 20-25 ग्राम हरे धनिये का रस मिलाकर पीने से एसिडिटी, बदहजमी से राहत मिलती है
उपचार - 5:
केला, तरबूज, पपीता और ककड़ी का रस एसिडिटी में राहत देता है
उपचार - 6:
दिन में 5-6 बार, 3-4 तुलसी के पत्ते चबाकर खाने से भी एसिडिटी में लाभ होता है
उपचार - 7:
अचार, सिरका, तला हुआ भोजन, मिर्च_मसाले, चाय_कॉफी, धूम्रपान आदि के प्रयोग से एसिडिटी ज्यादा होती है, इनका परहेज करे
उपचार - 8:
एसिडिटी में आंवले के रस, अथवा पुदीने के रस का सेवन काफी उत्तम औषधि है
उपचार - 9:
3 ग्राम इलायची और 5 ग्राम लौंग का पाउडर बना कर, भोजन के बाद चुटकी भर चूर्ण मुह में रखकर चूसने से एसिडिटी भी नही होती और मुह की दुर्गंध में भी राहत मिलती है
उपचार - 10:
भोजन के बाद छोटी सी गुड़ की डली मुह में रखकर चूसने से एसिडिटी से राहत मिलती है


पेशाब में जलन का उपचार

उपचार - 1:
ताजा पालक के 125 ग्राम रस में थोड़ा नारियल का पानी मिलाकर पीने से पेशाब की जलन में शीघ्र लाभ होता है
उपचार - 2:
मूली के ताजे पत्तो का 100 ग्राम रास प्रतिदिन 3 बार प्रयोग करने से भी पेशाब की जलन में आराम मिलता है
उपचार - 3:
आधा गिलास छाछ या मट्ठा लेकर उसमें आधा गिलास जौं का मांड मिलाये, इसमें 10 ग्राम नीम्बू का रस मिलाकर पीने से मूत्र संबंधी रोग नष्ट होते है
उपचार - 4:
1 नीम्बू का रस 1 गिलास पानी में मिलाकर सुबह शाम पीने से भी मूत्र संबंधी रोग दूर होते है
उपचार - 5:
दिन में 3 बार, विटामिन C 500 MG की दवा पेशाब जलन में लाभदायक है
उपचार - 6:
आधा गिलास पानी में आधा गिलास गाजर का रस मिलाकर दिन में 2 बार पीने से मूत्र की जलन ठीक होती है
उपचार - 7:
पानी अथवा अन्य तरल पदार्थ ज्यादा से ज्यादा पीये, हर 15-20 मिनट में 1 गिलास पानी अथवा जूस पीने से पेशाब की जलन से राहत मिलती है


बढे हुए कोलेस्ट्रोल का उपचार

उपचार - 1:
भोजन पकाने के लिए सूरजमुखी के तेल का इस्तेमाल भी कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने में हितकारी है
उपचार - 2:
त्तेदार सब्जियों का खूब सेवन करने से भी कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित किया जा सकता है
उपचार - 3:
20 ग्राम सूखे धनिये को 1 गिलास पानी में उबाल ले, ठंडा करके, और छान कर प्रतिदिन 2 बार पीने से कोलेस्ट्रोल कम होकर नियंत्रित होता है




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लिंग का टेढ़ापन - Peyronie's disease in Hindi

 टेढ़ापन क्या होता है?
लिंग में टेढ़ापन आने की स्थिति को पेरोनी रोग (Peyronie's disease) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिससे किसी व्यक्ति पर कई भावनात्मक और रिलेशनशिप से जुड़े कई प्रभाव पड़ते हैं। लिंग में टेढ़ापन, लिंग के ऊतकों में क्षति होने के कारण होता है, इन ऊतकों में स्कार (Scar/ ऊतकों में किसी प्रकार की क्षति जैसे चोट या जलने आदि के बाद वहां पर एक स्थायी चिह्न बन जाना) बनने लग जाते हैं। ऊतकों में बनने वाले स्कार को प्लेक (Plaque) के नाम से भी जाना जाता है। लिंग ऊपर की तरफ मुड़ा है या नीचे की तरफ इसके अनुसार ही प्लेक का स्थान व आकार निर्धारित होता है। लिंग में टेढ़ापन धीरे-धीरे हो सकता है जो गांठ बनने और दर्द के साथ शुरू हो सकता है, जो बाद में एक कठोर स्कार के रूप में विकसित हो सकता है। लिंग में टेढ़ापन अचानक से भी हो सकता है, जो लगभग रातभर का समय लेता है। लिंग का टेढ़ापन सबसे स्पष्ट रूप से लिंग स्तंभन (Erection) के दौरान दिखाई देता है।
यह लिंग के अंदर टेढ़े तंतुओं (रेशों) का निर्माण होने की वजह  है। 
लिंग में टेढ़ापन का निम्न स्थितियों के द्वारा वर्णन किया जाता है:
  • लिंग स्तंभन के दौरान दर्द होना। 
  • संभोग के दौरान दर्द और कठिनाई महसूस होना, यह अक्सर प्रारंभिक लक्षण होता है। (और पढ़ें - सेक्स के दौरान दर्द का इलाज)
  • संभोग करने के बाद लिंग में दर्द व सूजन आना। (और पढ़ें - पेनिस में सूजन का इलाज)
  • लिंग छोटा पड़ जाना या संकुचित हो जाना (कुछ मामलों में)।
  • लिंग में टेढ़ेपन के बिंदु के नीचे कोई कठोर जगह या गांठ महसूस होना।
  • स्कार ऊतकों की उपस्थिति लिंग में टेढ़ेपन की सतह से स्पष्ट दिखाई देना।
  • लिंग में गंभीर टेढ़ापन होने के कारण शारीरिक संबंध बनाने में अक्षमता।
  • दर्दरहित लेकिन टेढ़ापन काफी स्पष्ट रूप से दिखाई देना और छूने पर सख्त ऊतक महसूस होना।
  • सामान्य जीवन में हस्तक्षेप होने के कारण डिप्रेशन और अन्य मानसिक लक्षण।
कुछ मामले में पेरोनी रोग के साथ होने वाला लिंग में टेढ़ापन बिना किसी उपचार के अपने आप ही ठीक हो जाता है।
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर लिंग का टेढ़ापन या दर्द, आपको सेक्स करने से रोक रहा है या अगर यह समस्या आपमें किसी प्रकार की चिंता का कारण बन रही है, तो अपने डॉक्टर से इस बारे बात करनी चाहिए।

लिंग के टेढ़ापन के कारण और जोखिम कारक - Peyronie's disease Causes & Risks in Hindi

लिंग में टेढ़ापन किस कारण से होता है?
लिंग में टेढ़ापन या पेरोनी रोग का कारण अस्पष्ट है। ऐसा माना जाता है कि लिंग में टेढ़ापन किसी प्रकार के आघात (चोट लगना या सेक्स करते समय लिंग अचानक से मुड़ जाना) के कारण होता है, क्योंकि इससे लिंग के अंदर रक्तस्त्राव होने लगता है। इसमें यह भी हो सकता है कि आघात या चोट लगने के दौरान पता भी ना चला हो। कुछ अन्य मामलों में यह धीरे-धीरे समय के साथ विकसित होता है, जो आनुवंशिक या वंशानुगत स्थिति से जुड़ा हो सकता है। माता-पिता से जीन के माध्यम से संतान में भेजे जाने वाले गुण, दोष या बीमारियां आदि को आनुवंशिक या वंशानुगत कहा जाता है।
इसके अलावा ऐसी कई प्रकार की दवाएं हैं जो साइड इफेक्ट के रूप में लिंग में टेढ़ापन विकसित कर सकती हैं। साइड इफेक्ट के रूप में पेरोनी रोग विकसित करने वाली दवाओं में निम्न शामिल हो सकती हैं:
जोखिम कारक –
ऐसा माना जाता है कि लिंग में टेढ़ापन की समस्या 1 प्रतिशत से भी कम लोगों को होती है।
लिंग में छोटी-मोटी या मामूली चोट लगना हमेशा पेरोनी रोग का कारण नहीं बनती। हालांकि ऐसे कई कारक हैं जो घाव ठीक होने की गति को कम करते हैं और स्कार ऊतक बनने का कारण बनते हैं। ये कारक लिंग में टेढ़ापन विकसित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इन कारकों में निम्न शामिल हैं:
  • आनुवंशिकता (Heredity) – कुछ मामलों में जो लोग लिंग में टेढ़ापन होने की संभावना से जुड़े हैं, उनमें इस समस्या की संभावना वंशानुगत रूप से हो सकती है। यदि आपके पिता या भाई आदि को पेरोनी रोग है, तो आपमें भी यह समस्या होने के जोखिम अधिक बढ़ जाते हैं।
  • संयोजी ऊतक विकार (Connective tissue disorders) – जिन लोगों को कनेक्टिव टिश्यू डिसऑर्डर है, उनमें लिंग में टेढ़ापन विकसित होने की समस्या का जोखिम बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए काफी सारे लोग जिनको पेरोनी रोग है
  • उम्र – पेरोनी रोग होने की संभावना उम्र के साथ ही बढ़ती है, 55 साल की उम्र के बाद यह समस्या अधिक होती है। यद्यपि यह रोग बच्चों से वद्धों तक किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। (और पढ़ें - बढ़ती उम्र की समस्या)
  • अन्य कारक – कुछ निश्चित प्रकार की स्वास्थ्य स्थितियां, धूम्रपान और कुछ प्रकार की प्रोस्टेट सर्जरी आदि लिंग में टेढ़ापन विकसित होने की समस्या से जुड़ी हो सकती हैं। (और पढ़ें - प्रोस्टेट कैंसर सर्जरी)
  • प्रोस्टेट कैंसर का इलाज करने के लिए की जाने वाली कुछ प्रकार की सर्जिकल और रेडिएशन थेरेपी जैसे इलाज के बाद भी लिंग में टेढ़ापन आ सकता है।
  • जिन लोगों को हाइपरटेंशन या डायबिटीज आदि की समस्या है, उनके लिए पेरोनी रोग की समस्या आम मानी जाती है।

लिंग के टेढ़ापन से बचाव के उपाय - Prevention of Peyronie's disease in Hindi

लिंग में टेढ़ापन आने से बचाव कैसे करें?
पुरूषों को इस बात का एहसास नहीं होता है कि वे शारीरिक संभोग के दौरान अपने लिंग को भी क्षति पहुंचा सकते हैं। जिससे सेक्स करना मुश्किल और यहां तक की असंभव भी हो सकता है। इस प्रकार की चोटों से बचने के लिए ऐसी कई चीजें हैं जो पुरूष व उसकी पार्टनर कर सकते हैं। 
पुरुष की उम्र के साथ-साथ उसके लिंग स्तंभन की कठोरता में कमी आने लगती है और कठोरता को बनाए रखने में भी काफी मुश्किल हो सकती है। स्तंभन में कठोरपन की कमी होने से लिंग क्षतिग्रस्त हो सकता है, क्योंकि तीव्र सेक्स क्रिया में लिंग में मोड़ आ सकता है। नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं, जो मदद कर सकते हैं। (और पढ़ें - सेक्स के फायदे)
  1. जब किसी व्यक्ति को स्तंभन दोष होता है और शारीरिक संभोग बनाना उसके लिए मुश्किल या असंभव हो जाता है, तो डॉक्टर उसके लिए कुछ दवाएं लिख सकते हैं। लिंग में क्षति होने से बचाव रखने के लिए सबसे पहला कदम, लिंग स्तंभन की कठोरता में कमी महसूस होते ही इन दवाओं (डॉक्टर द्वारा बताए गए) का इस्तेमाल करना चाहिए। (और पढ़ें - लंबे समय तक सेक्स करने के उपाय)
  2. महिला साथी को सेक्स करने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उसकी योनी लूबरीकेटेड (चिकनाईयुक्त या नम) है। अगर योनि में पर्याप्त चिकनाई नहीं है तो उन्हें कुछ प्रकार के ओवर-द-काउंटर (बिना डॉक्टर की पर्ची के मिलने वाले उत्पाद अथवा दवाएं) लूबरीकेंट्स का इस्तेमाल करना चाहिए। (और पढ़ें - सेक्स के बाद रक्तस्राव)
  3. सेक्स करने के दौरान ध्यान रखना चाहिए और हाथ की मदद से लिंग को ठीक पोजिसन में रखना चाहिए।
  4. संभोग के दौरान उन आसनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए जिसमें महिला साथी ऊपर हों, क्योंकि इन पॉजिशन से लिंग में मोड़ आने का जोखिम बढ़ जाता है। (और पढ़ें - फोरप्ले क्या है)
  5. सेक्स पॉजिशन कैसी भी हो, संभोग के दौरान पुरुष का लिंग सीधी अवस्था में ही होना चाहिए। ऐसी पॉजिशन या गति का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए जिससे लिंग में मोड़ या मरोड़ आ जाए। (और पढ़ें - कामसूत्र के पोजीशन)
  6. जब पुरुष थका हुआ होता है या उसने अत्याधिक शराब पी रखी होती है, तो ऐसे में संभोग से बचना चाहिए। क्योंकि ऐसी स्थिति में लिंग स्तंभन पर भरोसा नही किया जा सकता है।

लिंग के टेढ़ापन का निदान - Diagnosis of Peyronie's disease in Hindi

लिंग में टेढ़ापन होने की स्थिति का परीक्षण कैसे किया जाना चाहिए?
परीक्षण के दौरान डॉक्टर आपसे आपके लक्षणों के बारे में पूछेंगे। इस दौरान डॉक्टर लिंग की जांच करेंगे और उसमें स्कार ऊतकों के कठोर हिस्सों और हाथ लगाने पर दर्द होना जैसी स्थितियों का पता लगाएंगे। आम तौर पर, इस समस्या का परीक्षण करने के लिए इसी की आवश्यक होती है। लिंग के अंदर रेशेदार प्लेक को हाथ से टटोल कर आपके डॉक्टर हालत का पता लगाने में सक्षम हो सकते हैं।
  • कभी-कभी लिंग का अल्ट्रासाउंड किया जाता है, जिस दौरान संदिग्ध हिस्से में इन्जेक्शन द्वारा एक डाई लगाई जाती है। डाई लिंग के तंतुमय हिस्से का पता लगाने में मदद करती है, खासकर जब उपचार के लिए योजना तैयार की जा रही हो। (और पढ़ें - शुक्राणु की जांच कैसे करें)
  • अगर लिंग में कैल्शियम जमा है तो एक्स-रे की मदद से उसको देखा जा सकता है। (और पढ़ें - एलर्जी टेस्ट कैसे होता है)
  • फाईब्रोसिस की डिग्री को निर्धारित करने के लिए कभी-कभी तने हुऐ लिंग की तस्वीरों की आवश्यकता पड़ सकती है। यदि सर्जरी द्वारा मरम्मत करने की योजना बनाई जा रही है, तो लिंग में क्षति की मरम्मत के सबसे बेहतर तरीके का पता करने के लिए लिंग की और विस्तार से जांच करने की आवश्यकता पड़ती है।

लिंग का टेढ़ापन का उपचार - Peyronie's disease Treatment in Hindi

लिंग में टेढ़ापन की स्थिति का इलाज कैसे किया जा सकता है?
पेरोनी रोग के कारण थोड़ा-बहुत टेढ़ापन होने पर उसका इलाज करने की जरूरत नहीं होती। चूंकि कुछ लोगों में यह स्थिति अक्सर अपने आप ठीक हो जाती है, इसलिए डॉक्टर अक्सर सर्जरी करने से पहले मरीज को एक साल तक ठीक होने का इंतजार करने के लिए कह सकते हैं।
अगर स्थितियां निम्न हों तो आमतौर पर डॉक्टर अक्सर वेट-एंड-सी (सावधान रहना और इंतजार करना) प्रक्रिया का सुझाव देते हैं।
  • अगर आपके लिंग में टेढ़ापन गंभीर नहीं है और अधिक बद्तर नहीं है।
  • आप अभी भी ठीक से बिना दर्द के स्तंभन प्राप्त कर रहे हैं और संभोग करने में सक्षम हैं।
  • अगर आपकी लिंग स्तंभन प्रक्रिया ठीक से काम कर रही है।
यदि आपके लक्षण गंभीर हैं या समय के साथ-साथ और बद्तर होते जा रहे हैं, तो आपके डॉक्टर दवाओं या सर्जरी के द्वारा इसका इलाज शुरू कर सकते हैं।
दवाएं –
पेरोनी रोग का इलाज करने के लिए कई प्रकार की दवाओं को प्रयोग करके देखा गया है। लेकिन इन दवाओं ने कोई स्थिर प्रभाव नहीं दिखाया है और वे सर्जरी प्रक्रिया की तरह प्रभावी साबित नहीं हो पाई हैं।
पेंटोक्सिफाइलिन (Pentoxifylline) एक ओरल (मुंह द्वारा ली जाने वाली) दवा है, जिसका इस्तेमाल लिंग में टेढ़ापन संबंधी समस्याओं के लिए किया जाता है। यह दवा कुछ महीने लगातार लेने से यह लिंग में स्कार ऊतकों की मात्रा को कम कर सकती है।
कुछ मामलों में, दवाओं को इन्जेक्शन द्वारा सीधे लिंग में इन्जेक्ट किया जाता है, जो पेरोनी रोग से जुड़े दर्द एवं टेढ़ेपन को कम करने में मदद करता है। इन्जेक्शन के दौरान होने वाले दर्द को कम करने के लिए आपको लोकल अनेस्थेटिक (कुछ भाग को सुन्न करने वाली दवा) दिया जा सकता है।
अगर निम्न में से ही आपको कोई उपचार दिया जा रहा है तो आपको कई इन्जेक्शन लगवाने पड़ सकते हैं। इन दवाओं को ओरल दवाओं के साथ संयोजन के रूप में भी दिया जा सकता है।
इन दवाओं में निम्न शामिल हैं -
  • कोलेजिनेज़ (Collagenase) – इस थेरेपी में पेरोनी रोग से जुड़ा टेढ़ापन और अन्य परेशानियों में सुधार होते देखा गया है। यह थेरेपी लिंग में टेढ़ेपन का कारण बनने वाले कोलेजन के निर्माण को तोड़ने के रूप में काम करती है।
  • वेरापैमिल (Verapamil) – इस दवा का इस्तेमाल आमतौर पर हाई ब्लड प्रेशर का इलाज करने के लिए किया जाता है। ऐसा लगता है कि यह कोलोजन के निर्माण को भी बधित करता है। कोलेजन एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो पेरोनी रोग के स्कार ऊतकों का निर्माण करने वाला मुख्य कारक है।
  • इंटरफेरोन (Interferon) – यह एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो रेशेदार ऊतकों का उत्पादन होने में बाधा उत्पन्न करता है और उनको तोड़ता है।
सर्जरी –
लिंग में टेढ़ापन की गंभीर स्थितियां जिसमें लिंग अधिक मुड़ जाता है, जो किसी व्यक्ति को संभोग करने से भी वंचित रखती है। ऐसी स्थितियों में सर्जरी काफी मददगार प्रक्रिया है। पेरोनी रोगों के मरीजों के लिए सर्जरी की दो प्रक्रियाएं होती हैं, पैलिकेशन (Plication) और प्लेक रिमूवल (Plaque removal)।
जब स्तंभन होता है तो टेढ़ापन के कारण लिंग की एक साइड लंबी तथा एक साइड छोटी हो जाती है।
पैलिकेशन – इस प्रक्रिया में डॉक्टर लिंग की बड़ी साइड के विपरित दिशा में ऑपरेशन करके लिंग की बड़ी साइड को छोटा करते हैं, जहां पर स्कार या प्लेक स्थित होते हैं। इस प्रक्रिया में डॉक्टर लिंग को सीधा रखते हैं, जिससे मरीज का लिंग स्तंभन रख पाता है। लेकिन इसके कारण लिंग स्तंभन थोड़ा कम हो जाता है।
इस प्रक्रिया को आउटपेशेंट बेसिस (सर्जरी के बाद उसी दिन अपने घर जा सकते हैं) के अनुसार किया जाता है और इस प्रक्रिया में डॉक्टर शरीर से कोई त्वचा नहीं निकालते। पैलिकेशन सर्जरी के 90 प्रतिशत से भी अधिक मामले सफल रहते हैं।
प्लेक या स्कार टीश्यू रिमूवल – इस प्रक्रिया में डॉक्टर प्लेक या स्कार वाले ऊतकों को निकाल देते हैं, जिससे लिंग की छोटी साइड खुल जाती है और लिंग सीधा हो पाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर उन लोगों के लिए होती है जिनका स्तंभन गंभीर रूप से मुड़ा हुआ है।
प्लेक निकालने के बाद डॉक्टर स्तंभन कक्ष में हुए रिक्तस्थान में ग्राफ्ट भर देते हैं। यह ग्राफ्ट मरीज के शरीर के किसी अन्य हिस्से से निकाली जाती है।
इस प्रक्रिया के 75 प्रतिशत मामले सफल हो जाते हैं। इस प्रक्रिया से लिंग स्तंभन की लंबाई को संरक्षित करने में मदद करती है। लेकिन लिंग स्तंभन इतना लंबा नहीं होता जितना यह पेरोनी रोग से पहले था।

लिंग का टेढ़ापन की जटिलताएं - Peyronie's disease Complications in Hindi

लिंग में टेढ़ापन होने से क्या जटिलताएं हो सकती हैं?
पेरोनी रोग होने पर निम्न जटिलताएं हो सकती हैं:

क्या आप या आपके परिवार में किसी को यह बीमारी है? सर्वेक्षण करें और दूसरों की सहायता करें


 

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